पिछले दिनों ईयू/योरोपियन यूनियन का एक शिष्ट-मंडल जम्मू-कश्मीर के ताजा हालात का जायज़ा लेने के लिए घाटी के दौरे पर गया था। पत्रकारों को संबोधित करते हुए शिष्ट-मंडल ने स्पष्ट शब्दों में यह रेखांकित किया है कि आर्टिकल 370 को हटाया जाना भारत देश का अपना अंदूरूनी मामला है। घाटी में हो रही आतंकी घटनाओं की सभी सदस्यों ने एकस्वर में भर्त्सना की है और अभी हाल ही में पश्चिमी बंगाल के पांच मज़दूरों की आतंकियों द्वारा की गई जघन्य हत्याओं की कड़े शब्दों में निंदा भी की है।
बिशनगढ़ का "अलीला" रिसोर्ट सचमुच भव्य और गरिमापूर्ण
मालदीव से बिटिया का फोन आया कि लगभग दस दिनों के लिए हम अलवर आ रहे हैं। प्रशांत ने जयपुर के निकट मनोहरपुर/बिशनगढ़ में बने अति चर्चित और भव्य "अलीला" रिसोर्ट में दो नाइट्स की एडवांस बुकिंग भी की है। आप दोनों के लिए अलग से कमरा भी बुक करा दिया है। ना मत करना।
समाज को जातिगत वर्गों में बाँटना ठीक नहीं
प्रायः अनुभव किया गया है कि हमारे देश की कई सारी सामाजिक संस्थाओं के नाम ख़ास तौर पर होस्टलों के नाम जातियों पर रखे गये मिलेंगे। मसलन जाट होस्टल, राजपूत होस्टल, ब्राह्मण छात्रावास, मीणा छात्रावास, यादव होस्टल आदि-आदि ।
अनुच्छेद 370 हटाये जाने का विरोध - प्रलोभन या निजी स्वार्थ?
चौंसठ कश्मीरी पंडितों ने अनुच्छेद 370 हटाये जाने के विरोध में एक वक्तव्य जारी किया है। ये वही लोग हैं जो हर-हमेशा लाभ के पदों पर रहे हैं और पण्डितों के विस्थापन का दंश जिन्होंने कभी झेला नहीं।
पांच अगस्त २०१९, एक ऐतिहासिक दिवस
पांच अगस्त २०१९ का दिन भारतीय इतिहास के पन्नों में स्वर्ण-अक्षरों में लिखा जायगा। जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाली संविधान की धारा ३७० को हटाने के प्रस्ताव को राज्य-सभा ने अपनी मंजूरी दे दी। सचमुच, यह एक ऐतिहासिक फैसला है जिस पर कई दिनों से कई तरह की अटकलें लग रही थीं।
तीन तलाक और शाहबानो
30 जुलाई 2019 का दिन इतिहास में दर्ज हो गया। तीन तलाक विधेयक को राज्य सभा ने अपनी मंजूरी दे दी। लोक सभा से इस बिल को पहले ही मंजूरी मिल गयी थी। सचमुच, महिला सशक्तीकरण की दिशा में उठाया गया यह एक अभूतपूर्व कदम है! तुष्टीकरण के चलते जो न्याय पिछली सरकारें शाहबानो को नहीं दे पायीं थी, वह चिरप्रतीक्षित न्याय वर्तमान सरकार ने शाहबानो के हवाले से मुस्लिम महिलाओं को लगभग 34 वर्ष बाद दिला दिया।
Late Bakshi Ghulam Mohammed (1907–1972)
Late Bakshi Ghulam Mohammed (1907–1972) ruled the State of Jammu and Kashmir as Prime Minister/Chief Minister for eleven years from 1953 to 1964.
किसी रचना का प्रकाशन
किसी ज़माने में संपादक की ओर से लेखक के लिए यह फौरी हिदायत होती थी कि भेजी गई रचना मौलिक, अप्रकाशित हो और अन्यत्र भी न भेजी गई हो। पता लिखा/टिकट लगा लिफाफा रचना के साथ संलग्न करना आवश्यक होता था अन्यथा अस्वीकृति की स्थिति में रचना लौटाई नहीं जा सकती थी। रचना के प्रकाशन के बारे में लगभग तीन माह तक जानकारी हासिल करना भी वर्जित था।रचना छपती तो मन बल्लियों उछलता और अगर लौट आती तो उदासी और तल्खी कई दिनों तक छाई रहती।
मोबाइल क्लिप को वायरल करना क्या समझदारी है?
मोब-लिन्चिंग की, छेड़खानियों की, झगड़े फसाद की, मार-कुटाई की, हत्याओं आदि की घटनाएँ बढ़ रही हैं और इनकी वीडियो-क्लिप्स हमें आये दिन टीवी चैनलों पर या अन्यत्र देखने को मिलती हैं।
Your Neighbors Are Your Good Friends
With the passage of time as one grows older having lived a life full of joy and sorrow, ups and downs shifting from one place to another in connection with his job commitment etc., he comes across several persons who could be named as his colleagues, work-partners or friends. But then, real good friends are so rare to find these days. Friendship has become more or less a give and take affair now.
योग्यता या पार्टी के प्रति कर्मठता और वफादारी?
सरकार बदलने के साथ ही बहुत सारी बातें अनायास ही बदल जाती हैं या अमल में आती हैं. नयी नीतियाँ, नये नियम, नये आदेश, नये लोग, और नयी समझ का आगाज़ होता है. यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है क्योंकि “तिल तिल नूतन होय” वाला आप्त-वचन प्रकृति और राजनीति दोनों पर लागू होता है.
क्या बीजेपी की सरकार आतंकवादी मसूद का ज़िम्मेवार?
चीन पर पड़े अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण उसकी हठ-धर्मिता को झुकना पड़ा और यूएन ने कुख्यात आतंकी मसूद अजहर को 'ग्लोबल टेररिस्ट' घोषित कर दिया। इसे भारत की कूटनीतिक विजय ही माना जाएगा। कुछ मित्रों का कहना है कि मसूद को बीजेपी की सरकार ने ही तो आतंकियों को सौंप दिया था आदि।
महबूबा मुफ्ती का अलगाववादी के प्रति सहानुभूति
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती जेकेएलएफ के अलगाववादी नेता यासीन मलिक की जेल से रिहाई के लिए गुहार लगा रही है। (शायद धरने पर भी बैठी है।) यह वही अलगाववादी नेता यासीन मलिक है जिसपर 25 जनवरी 1990 में भारतीय वायुसेना कर्मियों पर आतंकी हमले में शामिल होने का आरोप है। इस हमले में वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना सहित चार वायुसेना कर्मियों की मौत हो गई थी, जबकि 10 वायुसेना कर्मी जख्मी हो गए थे। और भी कई संगीन आरोप हैं इस अलगाववादी मलिक पर।